मानसिकता -2
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''परन्तु ऐसी विभिन विकृत मानसिकता वाले लोग जो क़ि हर वस्तु,व्यक्ति को एक गलत मानसिकता की ओर ले जाते है ,आज के आधुनिक समय में भी ऐसे बहुत से लोग है ;और जो समय निकल गया है ,वो तो आज के समय से भी कुछ इस तरह प्रतीत होता था। ''मानों कोई ऐसी ''मानसिकता '' जो कि एक पिछड़ी हुई मानसिकता सभ्यता को देती थी ,, 'वो ठीक था क्यों की जब कोई जागरूक नहीं था। 'किन्तु आज कि मानसिकता तो उस गुजरे हुए समय से भी एक विचित्र ही रूप ले रही है। ..जिस प्रकार सभी की अपनी मानसिकता होती है ,परन्तु लोगो की सोच को पैदा (जन्म) उनकी मानसिकता ही करती है ;जिस प्रकार मानसिकता का जन्म आज से तो नहीं हुआ हे यह तो एक प्रकार की ऐसी सोच की प्रकृति को जन्म देती है 'जिसमे की समाज से लेकर परिवार को भी एक भेद -भाव की द्रस्टी (नजरिये )से देखती है , ''कि पुत्र एवं पुत्री दोनों ही समान (बराबर )है ;परन्तु कुछ ऐसे भी मानसिकता वाले ''व्यक्ति (लोग )इस मानसिकता को जन्म देते है। जिसमें की एक निहत्ते मनुष्य को एक विचित्र मानसिकता का शिकार बना लेते है' जो की एक रूप से उचित मानसिकता को जन्म नहीं दे पाते है। ''मानसिकता '' एक ऐसी बीमारी है जो की धीरे -धीरे मनुष्य के भीतरी विशेषता ओ को भी नष्ट करते जा रहा है। ''मानसिकता अगर अच्छी होती है तो वो एक नया रूप लेती है। जो समाज ,परिवार को एक उचित मूल्य वान दृष्टि से देखती है। ''किन्तु एक विचित्र व्यवहार की मानसिकताअपने ही लिए नहीं बल्कि सभी के लिए एक से दूसरे को परस्पर हदय को छूती है। ''जिससे की एक मनुष्य की प्रकृति उसकी सोच उसके रहन -सहन पर भी मानसिकता का ऐसा प्रभाव (असर )पड़ता है ;जिससे की उसके व्यवहार की मानसिकता से सभी प्रभावित होते है.....
''. मानसिकता तो हदय में नहीं
''नजर में नहीं
विचारो के पहलू से सोच में उतारो l
तभी तो एक नयी मानसिकता का
पहलू उभर कर सामने आएेगा ''. ll
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