→ मानसिकता को वैकल्पिक विषय का रूप या नाम नहीं दे सकते है,परन्तु मानसिकता निजी जीवन ही नहीं वरन सभी रूपों में हर एक व्यक्ति के जीवन में उथल -पुथल की स्तिथि को एक ''सम्पूर्ण ''रूप से विकसित कर , देता है।''हर एकसमय एवं स्थिति में मानसिकता की परस्पर परीस्थिति ही पतन का परिचायक बनती है। ''जीवन के हर पहलु कोइतना प्रभावितअर्थात पुरुष एवं नारी दोनों को ही प्रभावित ,करता है। , जिसके फलस्वरूप जब सभी रूप एवं अन्य चरणों में भी मानसिकता का ही प्रभाव अपना स्वरूप फैला रहा है ,किसी की विकृत मानसिकता (सोच )तो एक विकृत प्रवृत्ति एवं इसी में मानसिक क्षमता को ओर भी दुर्बल कर रहा है। ; वही अगर मानसिकता की तुलना भी कि जाए तो इसका केवल कोई निष्कर्ष निकल पाएगा। ,,
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