'' जहाँ आप या हम बात करते है ,कि मानसिकता को बदला जाये तो यह सही है ,किन्तु कुछ चीज़े हो या सोच जो मानसिकता से ग्रसित है उनको बदला इतना सम्भव् नहीं है ,क्यों की ऐसी सोच मानसिकता को बदलना इतना आसान नहीं होता हे किन्तु अगर मानसिकता का इतना ज्यादा रूप से एक विचित्र ही सोच है। जो किसी को भी एक निश्चित नहीं होता है कि वह मानसिकता कहाँ और कैसे पनप रही है ,यह तो सभी प्रकार से एक अवधि का भी पता नहीं है ,पर यह मानसिकता अति कहा से है ,यह मानसिकता सभी को प्रवाभित कर रही है जो ऊ च -नीच ,छोटा हो या बड़ा सभी रूप से न की पुत्र -पुत्री ,माता -पिता ,समाज उस हर एक सभी रूपों में आपना स्तर फैला चुकी है। ,
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